तथ्य जो साबित करते है कि क़ुतुब मीनार हिन्दुओ द्वारा निर्मित इमारत है


Qutb Minar, Qutb-ud-din Aibak

आज हम बात करगे एक ऐसे इमारत के बारे में जिसे हम सदियों से एक इस्लामिक इमारत के तोर पे जानते है, पर इस इमारत को देख कर शुरु से ही इस्लामिक होने पर सवाल उठते आरहे है, हम बात कर रहे है विश्व के ऐतिहासिक धरोहरों मैं से एक क़ुतुब मीनार की, इससे UNESCO ने वर्ल्ड हेरिटेज घोषित किया है। इसके आस पास के परिसर को क़ुतुब काम्प्लेक्स कहते है, लकिन क़ुतुब मीनार की बनावट और संरचना को लेकर अक्सर विवाद होता रहे है। कहते है की दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक क़ुतुब-उद-दीन ऐबक ने इससे बनवाना शुरु किया था, लकिन इसका आधार ही बनवाया था। फिर क़ुतुब-उद-दीन के उत्याधिकारी इल्तुतमिश ने इसकी  3 मंजिले बनवाई और 1369 में फ़िरोज़ शाह तुग़लक ने  पाचवी और अंतिम मंजिल बनवाई। लकिन इस इमारत की संरचना और दूसरे काम्प्लेक्स में बनी इमारतों को देखकर इसके शुरु से ही इस्लामिक होने पर सवाल उठते आये है । देखा जाये तो इसकी दीवारों पर अरबी में कुरान की आयते लिखी है, लकिन इसके पास में ही एक खंडरनुमा ढाचा है, जिसके ऊपर एक गुम्बबत बना हुआ है। लकिन इसके स्तंभ और उसके ऊपर बनी आकृतिया कुछ और ही कहानी कहती है । ऐसे स्तंभ और आकृतिया तो मंदिरों में बनाई जाती है धयान से देखा  जाये तो इसके खम्बो पर मंदिर में लगाने वाली घंटिय बनी है। पास में रखे एक पत्थर पर भगवान गणेश की प्रतिमा
जेसी आकृति भी दिखाई देती है, और ऐसा भी लगता है की इसे मिटने की भी कोशिश की गई है, लेकिन ये पूरी तरह मिट नहीं पाई और पास ही में रामायण में ज़िक्र किये गए युद्ध को दिखाया गया है। तो सवाल ये है की इस इस्लामिक काम्प्लेक्स में हिन्दू धर्म से जुडी चीजें क्यों मिल रही है ।
       ये तो बात थी क़ुतुब मीनार के आस पास के खंडरो की, लेकिन क़ुतुब मीनार की दीवारों पर भी घंटिय और जंजीर बन हुई है। ये घंटिय और जंजीरे इस काम्प्लेक्स में बनी आधूरी इमारतों की घंटियों और जंजीरों के जैसी ही दिखती है, और आप को बता दे की इस्लाम में घंटिया प्रतिबंधित होती है। मुहम्मद साहब ने कहा था की घंटी शैतान के संगीत का उपकरण है। ऐसे में सवाल उठता है की कोई भी मुस्लिम शासक ने अपने कारीगरों से घंटिय उकेरने को क्यों कहेगा।
      कहा जाता है की क़ुतुब मीनार को आजान के लिए बनाया गया था। आजान के लिए कोई इतनी उची इमारत क्यों बनवायेगा जहा चड़ने में 45 मिनट लग जाये और नचे तक आवाज़ भी न जाये क्योको 800 साल पहले तो स्पीकर भी नहीं होते थे। ऐसा माना जाता है की क़ुतुब-उद-दीन ऐबक ने अपना नाम अमर करने के लिए इस इमारत को बनवाया था । पास ही में बनी छोटीसी मस्जिद पर भी उसका नाम लिखा है।
       पर कहा तो ये भी जाता है की क़ुतुब-उद-दीन ऐबक ने क़ुतुब काम्प्लेक्स और उसके आस पास कोई भी इमारत नहीं बनवाई है। वो तो लाहौर में रहता था। क़ुतुब मीनार के सम्बन्ध में इतिहास में हुए कोई भी दस्तावेज़ नहीं मिलते है। 1852 में एक मुस्लिम पुरातत्त्ववेत्ता सईद अहमद खान ने एक पेपर में प्रदर्शन था। जिसमे ज़िक्र किया था की क़ुतुब मीनार एक हिन्दू इमारत है ।
       अब किसकी बात सच है, और किसकी नहीं ये तो हम नहीं कह सखते पर इन सरे तथ्यों को देखने के बाद मुझे तो यही  लगता है, की क़ुतुब मीनार एक हिन्दू द्वारा निर्मित  इमारत है ।

No comments: